केंद्र ने सोमवार को चीनी मिलों को निर्देश दिया कि निर्यात करने के लिए चीनी का जो कोटा उन्हें जारी किया गया था और जिसका वह मार्च के अंत तक निर्यात नहीं कर सकी हैं, उसे वे वापस लौटा दें। इस बारे में उन्हें अगले सप्ताह तक एक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है। चीनी मिलों को लिखे पत्र में खाद्य मंत्रालय ने यह भी चेतावनी दी कि यदि चीनी मिलें अपने निर्धारित कोटे का निर्यात करने में विफल रहती हैं, तो वे अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा योजना के तहत चौथी तिमाही में अपने कोटे का दावा करने की हकदार नहीं होंगी।
सरकार ने मिलों को चीनी निर्यात की तिमाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 20 अप्रैल तक का ज्यादा समय दिया है। पहले चीनी मिलों को तीन अप्रैल तक ही यह रिपोर्ट देनी थी। सरकार ने अधिशेष चीनी का निपटान करने के लिए एमएईक्यू योजना के तहत 60 लाख टन चीनी का निर्यात करने की अनुमति दी थी। हालांकि, कुछ चीनी मिलें अपने कोटे का निर्यात नहीं कर पाई हैं। सरकार ने निर्यात नहीं किये जा सकने वाले और चीनी मिलों द्वारा लौटाये गये लगभग 6,50,000 टन चीनी का फिर से आवंटन किया है। फरवरी में खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि अधिक वैश्विक मांग के कारण चालू सत्र में कुल चीनी निर्यात 50 लाख टन तक पहुंच सकता है।
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